सोमवार

खाकी वर्दी वाला निकला लुटेरा


"पुलिस के इस कारस्तानी को जान आप भी डर जाएंगे

दैनिक भास्कर -
नई दिल्ली/ दिल्ली पुलिस की सातवीं बटालियन में तैनात एक कांस्टेबल ने शनिवार रात लूटपाट के इरादे से एक व्यवसायी की गोली मार कर हत्या कर दी। वारदात को अंजाम देने के बाद भागते आरोपी ने पुलिस के साथ पीछा कर रहे स्थानीय लोगों पर फायरिंग की, जिसमें एक बाइक सवार युवक गंभीर रूप से घायल हो गया। इसके बाद कांस्टेबल पुल मिठाई से नीचे कूद गया, लेकिन गंभीर रूप से घायल होने के कारण आरोपी पुलिस के हत्थे चढ़ गया।"
               यह खबर सुन कर आप के मन में पुलिस के लिए रहा सहा सम्मान भी चला जायेगा ,और जो संदेह या अफवाएं आप ने पुलिस के सन्दर्भ  में सुनीं होंगी वो सच होती नज़र  आएँगी .पुलिस शब्द में ही कुछ खराबी होती है,ये  शब्द जहाँ भी लग  जाता है चोरियां शुरू हो जाती  हैं.चाहें वो कोई भी विभाग हो और कितना भी इमानदार हो ले  किन उसकी पुलिस उस के नाम पर बट्टा लगा ही देती है.पुलिस  valon के दो -char  आम और कोमन  कार्य  निम्नवत  होतें है-
१. उन के यहाँ अखबार,टी.वी. केबिल  तो  मुफ्त  में ही आता  है.
२. घर पर दूध  के दामों  में विशेष  छूट  दी  जाती है.
3. दुकान दार इन  से कोई लाभ  नहीं  कमाते  बल्कि  इन को  दी गई  छूट का सारा घाटा वो सामान्य  जनता से पूरा करतें हैं.
४. वे लोगों की तलाशी इस लिए लेतें हैं ताकि कहीं किसी के पास उन के काम की कोई चीज  न मिल जाये .और वे तुरंत उस में अपनी हिस्सेदारी मांगें . 
                              इस घटना को पढ़ कर मेंरे दिल ये ही आता है की-

           " आज तक जो छुप-२ कर लूटते  थे आज सरे-आम लूटने लगे हैं ,
            शर्म के दो-चार धागे -जो बचे थे ,आज वो  भी टूटने लगें हैं. "

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