मंगलवार

"डेली-बेली" धमाल -"आरक्षण" पर बबाल? वाह इंडिया वाह !

           भारत एक एसा लोकतान्त्रिक देश है जहाँ कोई भी मुद्दा बबाल का या धमाल का विषय बन सकता  है .यहाँ "डेली-बेली ","ये साली जिंदगी " जैसी अश्लील एवं गालियों से भरपूर ,तथा जन मानस की अंतरात्मा को प्रफुल्लित करने वाली तथा उन्हें जवानी के नशे का आभास कराने वाली फिल्मों पर कोई आपत्ति नहीं होती ,मगर आम जनता की समस्याओं को ले कर बनी "आरक्षण" जैसी फिल्मों पर बबाल मच जाता है .वास्तविकता तो यह है की जन-मानस को जागरूकता प्रदान करने वाली ज्यादा तर फ़िल्में सिनेमा-घरों में एक पखवाडा(१५ दिन ) मुश्किल से ही चल पातीं हैं.और उन्हें जनता पचा ही नहीं पाती है.क्यों की आज ये ज़िदगी बहुत टेंसन फुल हो गयी है- लोग अपने बॉस के ही मोटिवेसनल भाषणों से तंग रहतें हैं.खाली वक़्त में वे ऐसी फ़िल्में देखना पसंद करतें है जो उन्हें टेंसन-फुल से टेंसन-गुल बना दे.मतलब की बात यह है कि लोग फिल्मों में नशा देखना पसंद करते है.चाहें वह फालतू कॉमेडी से भरपूर  या फिर सेक्सुअल- हॉट फ़िल्में .
                  ये फिल्म-मेकर जानते भी हैं कि ऐसी फ़िल्में जो देश-भक्ति,जागरूकता या जन-समस्याओं से संबंधित हैं,सब से पहले तो उन फिल्मों को जनता ही देखना पसंद नहीं करेगी और अगर कुछ ऐसी जुगत लगा के कि जनता इन फिल्मों को देखे तो हमारे नेता उस में रोड़ा अटका देंगे.क्यों कि वे जानते हैं कि उन की सरकार और नेतागिरी का अस्तित्व तब तक ही है जब तक इस देश की जनता नशे में धुत्त है.इसी लिए वे नशे की चीजों पर प्रतिबन्ध नहीं लगाते.और तो और वे ऐसी चीजों का संसद में समर्थन भी करतें हैं.
                    मगर कुछ फिल्म-मेकर्स के अन्दर एक साहित्यिक-कीड़ा पाया जाता है.वे फिल्मों को साहित्यिक(यानि की जनता के हित में)रूप देना चाहतें हैं.इस चक्कर में उन का फ़िल्मी-करियर भी खतरे में
आ जाता है.मगर ये लोग अपनी हरकतों से बाज नहीं आते.भाई आप क्यों किसी के बैंक से नोट लूट रहे हो-वोट बैंक से.इसी मुद्दे से तो उन की आगे की सात पीढियां अपना पेट-पालन करेंगीं.तुम उस मुद्दे को लोगों के सामने नंगा कर रहे हो. हाय लगेगी तुम्हें इन गरीबों की.सच कह रहा हूँ ?
              प्रकाश झा जी ! क्यों आप बनातें हैं ऐसी फ़िल्में?आप  ऐसी फ़िल्में बनाइये - आ-भक्षण(आरक्षण ),अराज- अच्छी नीति,मृत्युदंड क्यों?(सब चलता है-जाने भी दो ),अपहरण -अच्छी बात ,सत्संग-मेरा भविष्य .

1 टिप्पणी:

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