गुरुवार

वो भूतिया रात - सच या सपना ..

                      ये उस समय की बात है जब मेरा साला अन्नू  सेना की भर्ती देखने मेरठ गया था . उस के साथ उस के चाचा और उसका एक मित्र था.काफी प्रयास के बाद भी उन लोगो को कोई होटल नहीं मिल पाया जिस में वे रात गुजार पाते.हार कर  उन्हों ने कैंट एरिया के पास ही  फुट पाथ पर रात गुजरने का फैसला किया .    
                                      सब आराम से सो चुके थे . क्यों कि सुबह उन लोगों को काफी सारी मसक्कत करनी थी ,इस लिए आराम ज़रूरी था.  रात को करीब १२ बजे अन्नू की आँख खुली.  उसे कुछ अजीब सा दृश्य नज़र आया .उस से लग भाग २५० मी. की दूरी पर एक सफ़ेद रंग की बस खड़ी है. जिसमे कुछ सफ़ेद रंग का लिवास पहने लोग चढ़ रहे हैं .लेकिन उतर कोई नहीं रहा. उस ने घडी देखी, इस वक़्त मेरठ में कोई बस नहीं चलती. उस ने बाकी लोगों को यह सब दिखने के लिए उठाया.सब लोग डर से काँप ने लगे. बस कुछ देर बाद चल पड़ी .बस के पीछे उर्दू में  लिखा था -  मंजिल-ऐ- खुदा .

                                       जब उन्हों ने मुझे ये वाकया सुनाया तो मुझे भी आप की तरह यकीन नहीं हुआ था .मगर  मैं सिर्फ यह सोचता हूँ  क़ि- " क्या  उस रात उन तीनों क़ी आँखों ने धोखा खाया था . या सब सच था......

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