"पापा मैं भी चलूंगी ."सात -आठ साल कि मासूम सी बच्ची,अपने पापा विंग कमांडर एस पी मुखर्जी ( वायु सेना का एक सम्माननीय पदाधिकारी ) की टांगों से लिपट कर पापा के साथ MIG-27 (एक लडाकू विमान ) की उडान(SHORTI) पर जाने के लिए जिद कर रही थी । FIGHTER PILOT मुखर्जी MIG-27 की अभ्यास उड़ान के लिए जा रह था। "जाओ बेटा मम्मी के साथ जाओ ,मैं अभी चौक लेट ले कर आता हूँ ."बच्ची को समझाते हुए उसकी मम्मी के साथ भेज दिया। बच्ची मान तो गयी,मगर उसकी आंखों में आंसू थे ।
लगभग आधा घंटे बाद ,पूरे वायु सेना स्टेशन में हड़कंप मच गया। एक MIG-२७ विमान हवाई पट्टी(RUNWAY) पर उतरने (LAND करने )से पहले ही दुर्घटना ग्रस्त हो गया। विमान चालाक की मृत्यु । उस विमान चालाक का नाम -विंग कमांडर एस.पी.मुखर्जी ।मेरे दिल का धड कना एक पल के लिए बंद सा हो गया. मेरे दिल को अजीब सा दर्द तब हुआ जब मुझे उस बच्ची का चेहरा और वो घटना याद आयी,जिस की सुबह कोई खास अहमियत नहीं थी ,लेकिन अब उन्हीं बातों को याद करके मैं अपने आंसुओं को रोक नहीं पा रह था . कोई चोकलेट लेने भी भला इतनी DOOR JATA HAI KYA .
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